सोच कैसे बदलें सोच बदलने का तरीका
दोस्तो आज हम बात करेंगे की सोच कैसे बदलें? और सोच बदलना क्यों जरूरी है?
जीवन मे कुछ भी हासिल करने के लिए अपनी सोच को बदलना बहुत जरूरी है सोच बदलना ही सफलता के मार्ग मे पहला कदम है
जैसे ही हमारे जीवन मे कोई समस्या आती है तो हम दुखी हो जाते है फिर उस बारे मे बहुत ज्यादा सोचने लगते है और खुद को चिंताओ मे घेर लेते है।
आपके जीवन मे अभी जो भी हो रहा है अगर आप उसे बदलना चाहते है तो सबसे पहले आपको अपनी सोच को बदलने की जरुरत है और जो इन्सान अपनी सोच बदलने की कोशिश नही करता है वह अपनी मुश्किलो के साथ ही जीवन जीता है और वो मुश्किलें और बढती जाती है और इन्सान यह समझ ही नही पाते है कि ऐसा उनके साथ क्यो हो रहा है आज हम उसी बारे मे बात करने वाले है।
स्वयं की सोच को बदलने के तरीके
(Ways to change your thinking)
•असफलता का कारण दूसरो को समझना:-
(Understanding others as the reason for failure)
जब हम जीवन मे कुछ करना चाहते है और यदि उस काम मे असफल हो जाते है तो अधिकतर लोग उस असफलता का कारण दूसरो को समझते है मगर जब हम उसका कारण दूसरो को समझते है तो हम खुद को बदलने या सुधारने के अवसर को खो देते है और दोबारा कभी प्रयास ही नही करते हैजब व्यक्ति अपने दुख का कारण किसी और को समझेगा तो वो सुखी कैसे रह पायेगा यह असम्भव है क्योंकि दूसरो को परिवर्तित करना उसके वश मे नही है वो तो सिर्फ खुद को परिवर्तित कर सकता है।
इसलिए हमें असफलता का कारण खुद को समझना चाहिये जिससे हम खुद की सोच और कमियो को दूर करके खुद को और बेहतर बना सकते है।
भीड के साथ साथ चलना(Walking along the crowd)
हर इन्सान को वो ही काम करना चाहिये जिस काम को वो सच मे करना चाहता है उस काम को करने मे सफ़लता पाना उसके लिए असान होगा। अगर आप बहुत समय से एक ही काम कर रहे है और उसमे खुश नही है संतुष्ट नही है तो उस काम को बदलने की जरूरत हैऔर जैसे ही आप उस काम को बदल देंगे तो आपको मिलने वाले परिणाम भी बदल जाएंगे और आप पहले से ज्यादा सुखी और सफल महसूस करेंगे इसलिए सोचने मे समय बर्बाद न करें और जो करना है उसकी शुरुवात कर दीजिए।
दूसरो से बहुत ज्यादा अपेक्षाएँ रखना
(To have very high expectations from others)
आज अधिकतर लोगो का दुखी होने का कारण है दूसरो से अधिक अपेक्षाएँ रखना है क्योंकि इन्सान का स्वभाव ऐसा ही होता है और जब वो अपेक्षाएँ पुरी नही होती है तो हम दुखी हो जाते हैइसलिए जो भी अपेक्षाएं है वो खुद से करनी है हम जो कुछ भी करना चाहते है उसके मेहनत खुद ही करनी होगी कोई और भला हमारे लिए कुछ भी क्यो करेगा,
क्योंकि जैसा हम सोच रहे है वैसा ही सब सोच रहे है वो भी हमारी ही तरह दूसरो से अपेक्षाएँ रख रहे है।
जैसे
सास को बहू से बहुत अपेक्षाएँ होती है।
पत्नी को पति से
पिता को बेटे से
दोस्त को दुसरे दोस्त से
परंतु जीवन सुखद हो उसके लिए जरूरी है कि मन खाली हो बिल्कुल एक बांसुरी की तरह भीतर कुछ भी नही है तभी स्वर निकलता है। इसलिए मन को भी भावनाओ से मुक्त रखना आवश्यक है
“मन मे कुछ भरकर जियोगे तो मन भरके जी नही पाओगे”
मनुष्य की सोच संसार का सबसे कठिन भाव है कब, क्या होने के बाद यह मन क्या सोच बैठेगा ये कोई नही जानता और यही सोच कई बार हमारे मन मे हीन भावना ले आती है हम हमेशा स्वयं से ऊपर श्रेणी के लोगो को देखते है और सोचते है कि-
उसके पास कितना धन है
उसके पास कितना बल है
मेरे पास कुछ भी नही है
संसार के लिए मै कुछ भी नही हूँ
भूखे को एक रोटी मिल जाए तो हो सकता है किसी के लिए वो रोटी सिर्फ एक अन्न का दाना होगा लेकिन उसके लिए वो उसका खाना है
इसलिए जब भी मन मे हीन भावना जागे अपनो की और देखिये
आप भले ही ये मानते हों कि इस संसार मे लिए आप कुछ कुछ भी नही है परंतु अपनो के लिए आप उनका सम्पुर्ण संसार है तो जो आपका संसार है उसमे खुशी – खुशी रहना सीखिये।
लोग हमारे बारे मे क्या कहेंगे क्या सोचेंगे
(What people will think about us)
हम सभी अपना जीवन शांति से जीना चाहते है हमेशा खुश रहना चाहते है मगर ऐसा नही कर पाते इस समस्या का क्या कारण है हमारे शत्रु इसका कारण है या समय की कमी,नही। कारण है हमारा भय, ड़र ये ड़र कि कोई क्या कहेगा हमारे बारे मे कोई क्या सोचेगा,हम स्वयं जीते है स्वयं मरते है फिर जीते समय संसार की चिंता क्यो, हाँ संसार का अहित न करे। परंतु संसार की चिंता करके स्वयं का जीवन नष्ट करना यह कहाँ तक सही है
जब आप खुशी मे नाचें तो ऐसे नाचे जैसे आपको कोई देख ही ना रहा हो और जब गाये तो ऐसे गाये जैसे आपको कोई सुन ही ना रहा हो स्वयं को ही अपना संसार समझे और अगर आप अपने जीवन मे चार पल भी ऐसे जिए तो आपका जीवन बदल जायेगा।
बाहर परिवर्तन लाना है तो भीतर परिवर्तन लाना होगा
जैसे एक पेड़ के फलो को बदलने के लिए जड़ो को बदलना होता है उसी प्रकार जीवन को बदलने के लिए सोच को बदलना बहुत जरूरी हैहम जो भी देखते है, हम जो भी सुनते है, हम जो भी अनुभव करते है उसी से हमारी सोच का निर्माण होता है।
उदाहरण:-
*पैसा पेड़ो पर नही लगता
*हर कोई अमीर नही बन सकता
*पैसा खुशी नही खरीद सकता
इसी प्रकार बहुत तरह के विचार है जिनसे हमारी सोच बनती है और जैसी सोच होती है वैसे ही हमारे कार्य होते है और जैसे कार्य होंगे वैसा ही उसका परिणाम (Result) मिलेगा
दुनिया मे हर कोई results को बदलने मे लगा है मगर जब तक सोच नही बदलेगी तब तक result नही बदल सकता।
जब भी आपने यात्रा की होगी तो आपने मार्ग मे कुछ खाली जगह देखी होगी खेत देखे होंगे कोई न कोई जमीन का टुकड़ा जरूर देखा होगा और कई स्थान होते है जहाँ माली पेड़ लगाता है उन्हे सीचता है और कुछ स्थान ऐसे होते है जहाँ बिना माली के खर पतवार उग जाते है, कुछ अन्य पौधे उग जाते है।
माली के द्वारा उगाये पेड़ हमे ठण्डी छाया देते है फल देते है और ईंधन के लिए लकड़ी देते है और बिना मेहनत के उपजे खर पतवार जमीन को बंजर बनाते है
हमारा मन भी हमारी सोच भी खाली भूमि के ही समान होता है यदि अपने परिश्रम से उसमे सुविचारो के बीज डालेंगे तो फलदायक विचार उपजेंगे और यदि उसे खाली छोड़ दिया तो खरपतवार की भांति अनुपयोगी विचार उसको अपना घर बना लेंगे, आपके मन लो मैला कर देंगे उसे बंजर कर देंगे
अब आपको सुविचार देने वाला मन चाहिये या अनुपयोगी विचार देने वाला ये आप पर निर्भर करता है।
इसलिए हमेशा सकारात्मक सोच रखना चाहिये अगर आप दिखने वाली चीज़ो को बदलना चाहते है जैसे (हमारी मुश्किले,वर्तमान स्थति,Income) तो आपको नही दिखने वाली चीज़ो को जैसे (अपनी सोच को) बदलना होगा।
दोस्तो आशा करते है अब आप समझ गये होंगे कि सोच कैसे बदलें और सोच को बदलना क्यों इतना जरूरी है
हमारी सोच हमारे जीवन को किस हद तक प्रभावित करती है
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे Comment करके जरूर बताएं और आप हमे सब्सक्राइब भी कर सकते है धन्यवाद!
सोच कैसे बदलें सोच बदलने का तरीका
Reviewed by Life Self Motivation
on
December 23, 2019
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